तेरे मेरे बीच।।
कहानी जो दास्तां बन चुकी कहीं,
दरमियान न किसी जमाने का शोर है,
एक माहौल की तरह ढल गया हर लम्हा!
तेरी खामियां फिर क्यूं मेरा एक रोग हैं।
कुछ सेहलब बन आती हैं सताने मुझे,
फिर रेत की तरह...
दरमियान न किसी जमाने का शोर है,
एक माहौल की तरह ढल गया हर लम्हा!
तेरी खामियां फिर क्यूं मेरा एक रोग हैं।
कुछ सेहलब बन आती हैं सताने मुझे,
फिर रेत की तरह...