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चाहत
तुम साथ चाहते थे
किंतु हाथों में हाथ नहीं चाहते थे
अनंत प्रतीक्षा चाहते थे मुझसे
किंतु मुझ तक लौटना नहीं चाहते थे
आकाश बना , धरती बनी
नदी , पर्वत , जंगल बने
ईश्वर की चाहना से बनता रहा सब
किंतु मैं... मैं तुम्हारे ना चाहने से बनी....
#writcopoem
© अlpu
किंतु हाथों में हाथ नहीं चाहते थे
अनंत प्रतीक्षा चाहते थे मुझसे
किंतु मुझ तक लौटना नहीं चाहते थे
आकाश बना , धरती बनी
नदी , पर्वत , जंगल बने
ईश्वर की चाहना से बनता रहा सब
किंतु मैं... मैं तुम्हारे ना चाहने से बनी....
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