...

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14 Feb 2020...
वो कहते थे जान भी दे दुंगा तुम्हारे लिए।
आज कल उन लोगो को बदलते देखा है ।

वो कभी पहरो गुजार देते थे हमारे लिए।
आज उनको किसी के लिए मचलते देखा है ।

कभी रहे हमसे वो जल बिन मछली की तरह ।
आज उनको किसी के लिए तडपते देखा है ।

वो कभी बरसे किसी बड़े बादल कि तरह ।
आज उनको चंद बूँदों के लिए तरसते देखा है।

रुठना मनाना तो इश्क मे चलता रहा है यारा ।
पर आज किसी ओर के लिए उन्हे झगडते देखा है ।

ये प्रेम है साथी प्रेम, इस तरह फरेब न कर ।
फरेब करने वाले अच्छो अच्छो को ढलते देखा है ।


© Bannasa008

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