...

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“रिश्ता”
रिश्ता बनाना जितना आसान होता है
उसे ताउम्र निभाना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ता छुपाना जितना आसान होता है
उसे दुनिया को बताना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ता तोड़ना जितना आसान होता है
उसे जोड़े रखना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ता उलझाना जितना आसान होता है
उसकी गाँठे सुलझाना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ता पैदा करना जितना आसान होता है
उसे प्यार से संवारना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ता झुठलाना जितना आसान होता है
उसे सच साबित करना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ते को नाम देना जितना आसान होता है
उसे बेनाम रखना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ते में साथ चलना जितना आसान होता है
उसके उतार चढ़ाव में जीना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ते का गला घोंटना जितना आसान होता है
उसे जिलाए रखना उतना ही मुश्किल है।

रिश्ते से निकल जाना जितना आसान होता है
उसमें वापस लौटना उतना ही मुश्किल है।
© ढलती_साँझ