...

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डर से ईतना मत डर
डर से ईतना मत डर
ओ मेरे मन डर से इतना मत डर
हर डर पीछे रह जायेगा
अगर तु बैठेगा ठानकर
ओ मेरे मन डर से ईतना मत डर

कुछ हासिल न होता किसी को
यूं सिर्फ़ आंहे भर भर कर
बीज ना बनता पैड कभी जो
जीता नहीं मिट्टी में मिलकर

आलस, इर्ष्या, शंशय रोगने
पकडा है तुजे डबोचकर
अपनी सारी जान लगा और
उठ इन सब से लडकर

यदि न जीत पाये इन सबको तब
हार कर एक हि पुकार कर
हे परमात्मा अब तेरी शरन है
अब तुही मुझे मदद कर

परमात्मा का नाम आते ही
आयेगी शक्ति तुजमे भर भर कर
भागेगे सब वे दुश्मन तेरे
जो अब तक रखते थे तुजे डरा कर

जब तुं पाये शांति और शक्ति
न जीना जोश में होश गवां कर
तेरा रखवाला प्रभु का नाम है
अब मोज से तु बस मेहनत कर

डर से मत ईतना मत डर
ओ मेरे मन डर से ईतना मत डर
हर डर पीछे रह जायेगा
अगर तुं बैठेगा ठानकर










© hitesh kanubhai shukla