...

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Ek Soch
एक सोच अक्ल से फिसल गई,
मुझे याद थी के बदल गई,
मेरी सोच थी कि वो ख्वाब था,
मेरी ज़िन्दगी का हिसाब था।
मेरी जुस्तजू के बरस्त थी,
मेरी मुश्किलों का वो अक्श थी,
मुझे याद हो तो वो सोच थी,
जो ना याद हो तो गुमान था,
मुझे बैठे बैठे गुमां हुआ,
गुमां नहीं था खुदा था वो,
मेरी सोच नहीं थी, खुदा था वो,
वो खुदा के जिसने ज़ुबान दी,
मुझे दिल दिया, मुझे जान दी,
वहीं ज़ुबान जिसे ना चला...