काश! वो बचपन लौट आता!!
#स्मृति_कविता
वो कागज की कश्ती
वो पानी में मस्ती,
माटी के बने घरोदौं की
वो छोटी सी बस्ती।
काश! वो बचपन लौट आता।
न कोई ख्वाहिश थी
न कोई चाहत थी मन में,
हर ऋतु हरियाली छाई
रहती थी मन उपवन में।
काश! वो बचपन...
वो कागज की कश्ती
वो पानी में मस्ती,
माटी के बने घरोदौं की
वो छोटी सी बस्ती।
काश! वो बचपन लौट आता।
न कोई ख्वाहिश थी
न कोई चाहत थी मन में,
हर ऋतु हरियाली छाई
रहती थी मन उपवन में।
काश! वो बचपन...