...

20 views

पतझर
झाड़ ऊँचे और नीचे
चुप खडे है आँख मीचे ,
घास चुप है, काश चुप हैं
मुक शाल ,पलाश चुप है;
बन सके तो धँसो इनमें,
धस ना पाती हवा जिनमें.....