...

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बस्ती।
क्या शरीफों की बस्ती हैं!
यहां तो बेईमानी हसती हैं।

झूठी मुस्कान,झूठे वादें है,
गारंटी दे रही एक हस्ती हैं।

क्यों दे गाली किसी कुर्सी को ?
बेईमानी तो रगों में बसती हैं।

उन के झूठ के...