कोरोना
तुने धरती बांटी, सागर बांटा,
अब इंसान बांट रहा है,
कभी धर्म, जाति, समुदाय,
के रूप में लोगों को छांट रहा है,
अब पता नहीं मुझे भेजा गया है,
या मैं आया हूँ,
साथ में मौत का डर भी लाया हूँ,
देखा ,मैंने आतें ही परिवार से ,
परिवार को बांट दिया,
दोस्त, पडोसी, रिश्तों को बांट दिया,
सब घर में कैद हैं,
बाहर निकलना अवैध है,
अब सब अकेले-अकेले है,
तु भी तो यही चाहता था,
एक बात दुं तुझे,
मैं तो एकता, अनुशासन,
और...
अब इंसान बांट रहा है,
कभी धर्म, जाति, समुदाय,
के रूप में लोगों को छांट रहा है,
अब पता नहीं मुझे भेजा गया है,
या मैं आया हूँ,
साथ में मौत का डर भी लाया हूँ,
देखा ,मैंने आतें ही परिवार से ,
परिवार को बांट दिया,
दोस्त, पडोसी, रिश्तों को बांट दिया,
सब घर में कैद हैं,
बाहर निकलना अवैध है,
अब सब अकेले-अकेले है,
तु भी तो यही चाहता था,
एक बात दुं तुझे,
मैं तो एकता, अनुशासन,
और...