तू क्या लागे मेरा
तू क्या लागे मेरा ना जाने कैसा तुझसे नाता है
तेरे सिवा कुछ और अब नहीं दिल को भाता है
एक आदत कहु तुझे जो अब ना बदले पाये
तू मुझे बदल मुझमे ही जाने कैसे समाये
गर कभी मांगी हु दुआ जो कबूल हुई
उसकी इबादत हो तुम
लग गयी ऐसी लत जो सासो से जुड़ गया
मानो जन्मों की आदत...
तेरे सिवा कुछ और अब नहीं दिल को भाता है
एक आदत कहु तुझे जो अब ना बदले पाये
तू मुझे बदल मुझमे ही जाने कैसे समाये
गर कभी मांगी हु दुआ जो कबूल हुई
उसकी इबादत हो तुम
लग गयी ऐसी लत जो सासो से जुड़ गया
मानो जन्मों की आदत...