...

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तू क्या लागे मेरा
तू क्या लागे मेरा ना जाने कैसा तुझसे नाता है
तेरे सिवा कुछ और अब नहीं दिल को भाता है

एक आदत कहु तुझे जो अब ना बदले पाये
तू मुझे बदल मुझमे ही जाने कैसे समाये

गर कभी मांगी हु दुआ जो कबूल हुई
उसकी इबादत हो तुम

लग गयी ऐसी लत जो सासो से जुड़ गया
मानो जन्मों की आदत हो तुम

चाहत है खुशियों की गर जो तो लबों पर
आये जो वो मुस्कुराहट हो तुम

चलना है ज़िन्दगी के राहो मे जो तो हर कदम
साथ एहसासों की जरूरत हो तुम

लिखा तुझे कुछ इस तरह ज़िन्दगी के पन्नो पर
सदियों गुजर जाये पढ़ के वो कहानी हो तुम

क्या कहु तुझे हर शब्द कम है बस जान लें इतना
तू है तो धडकने साथ है मेरी ज़िंदगानी हो तुम

इस ज़िन्दगी से जुडा कोई खिस्सा नहीं हो ज़िन्दगी जिससे चलती है इस सासो का हिस्सा हो तुम