...

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wo sirf ladki nahi...
वो लड़की है
नहीं वो सिर्फ एक लड़की नहीं
नारी,स्त्री अबला ऐसे कई नाम है
किसी ने कह दिया बेटियां लक्ष्मी,
दुर्गा समान है
तरस गई कान ये सुनने को
कि वो भी तो एक इंसान है
ईश्वर ने तो दो इंसान बनाए
लोगो ने लड़की और लड़को का
नाम दे कर दायरा बना दिया
कहीं लिखा मिला न हमे कभी
बेटियों के काम ये ईश्वर भी कितना
अजीब है न शायद वो हमे हमारा काम
बताना भूल गया लोगो ने ये जिम्मेदारी भी
संभाल लिया मां ने कह दिया बेटियां पराई होती हैं
पिता ने कह दिया बेटियां घर की इज्जत होती हैं
किताबों में भी पढ़ाया गया वो देवी दुर्गा काली महान होती है मगर किसी ने ये कहा नहीं वो भी तो इंसान होती हैं दो भाई बहन साथ में पले बढ़े उनके दायरो को बांटा गया लड़के को अफसर बनाना है इजाजत की जरूरत नही उसे अगर कहीं आना जाना है और बेटियों को घर के काम सीखने चाहिए ये कहती है मां अक्सर कहीं जो मन हमारा न लगे इन कामों में बेटी हो ये समझा कर डांटा गया । ये कैसा समाज हो गया यहां इंसान हीं इंसान का डर है इंसान हीं इंसान का दुश्मन । नियम बने कानून बदले जाएंगे ईश्वर जाने वो लोगो की मानसिकता कैसे बदल पाएंगे ।