प्रिये
दिल स्नेहा में लिपटा कुमुद सा
तुम उसका हो उपकार प्रिये
मन रोम रोम संचित तुमसे
तुम बारिश का बौछार प्रिये
पतझड़ जैसे माटी गहती...
तुम उसका हो उपकार प्रिये
मन रोम रोम संचित तुमसे
तुम बारिश का बौछार प्रिये
पतझड़ जैसे माटी गहती...