...

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एक सितारा
मन कभी अनमना जिस गली में हुआ।
उस गली में दोबारा नहीं जा सका।।
नाम जिसने कभी अनसुना कर दिया।
फिर कभी भी पुकारा नही जा सका।।

आप को भी चमकदार चेहरा दिखा।
आप गीले नयन देख पाए नही।।
आप ने बस सफलता निहारी सदा।
किंतु घायल चरण देख पाए नही।।

आप जो देखना चाहते थे दिखा।
और कुछ भी निहारा नही जा सका।।

देवता आप होगे किसी लोक के।
आप का धाम होगा किसी द्विप पर।।
आप की दृष्टि क्यू गड़ गयी यह कहो।
एक मोती समेटे किसी सिप पर।।

क्या कहें क्या सुने कुछ बचा ही नही।
बोझ मन से उतारा नही जा सका।।

आपके सामने सब घटा देखिए।
घर बसाया गया फिर उजड़ा गया।।
प्रेम की ग्रंथ रचता रहा यह हृदय।
और फिर पृष्ठ हर एक फाड़ा गया।।

जो गगन से कभी टूटकर गिर पड़ा।
लौट कर फिर सितारा नही जा सका।।
© Ananya Rai Parashar