...

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जब से बाहर आए है....
जब से बाहर आए हैं हम शहर से अपने
अपने ही शहर के बाहरी हो गए हैं हम,
कथा और जन्मदिन पर हुजूम में मस्तियां करते थे हम
आज विवाह पर भी ना जाने के वजहें ढूंढ लेते हैं हम,
वो अजीज हमारे जिनके बुखार में परेशान हो जाने वाले आज मय्यत पर भी ना जाने का बहाना ढूंढ लिए हैं हम,
कैसे इंसान थे हम और कैसे इंसान बन गए हैं हम
शहर क्या छूटा अपना अपनों से ही बेगाने बन गए हैं हम
© Madhumita Mani Tripathi