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मासूमियत की मूरत
मासूमियत की मूरत:- मासूमियत की मूरत हो तुम, हो इतनी मासूम की अपने दुख को तो हमेशा भूल ही जाती हो तुम, कभी रूठना तो कभी मनाना, कभी इतराना तो कभी संवरना, कभी हंसाती तो कभी गुदगुदाती हो तुम। जीवन के रंगीन पन्नों में कुछ नया रंग भर जाती हो तुम। हर पल साथ देने का अटूट वादा निभाती हो तुम। सच्ची मां,बेटी,बहू,पत्नी होने का कुछ ऐसा अहसास दिलाती हो तुम। हमारे मन को मानो दूर तक उड़ना सिखाती हो तुम। घर परिवार को एक साथ संजोकर...