दस्तक़
जिंदगी मे ना गम की कमी थी
ना और ज़िने की इच्छा बची थी
इस ज़िन्दगी की गाड़ी को मरे अरमानो के साहरे खिचा रहे थे
तभी दरवाजे पर उम्मीदो की जगह महामारी रूपी मौत ने दस्तक दी
पहले जिन सासों को गिना रहे थे
अब उन बची सासों की भी...
ना और ज़िने की इच्छा बची थी
इस ज़िन्दगी की गाड़ी को मरे अरमानो के साहरे खिचा रहे थे
तभी दरवाजे पर उम्मीदो की जगह महामारी रूपी मौत ने दस्तक दी
पहले जिन सासों को गिना रहे थे
अब उन बची सासों की भी...