...

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कहीं चाय ठंडी न हो जाए


सुनो न...

तुमने कहा था न चाय पर मिलने को ,
हमने दो प्याली चाय बना के रखी है ।

एक तुम्हारे लिये और एक मेरे लिये ,
या फिर हम एक प्याली में साझा कर लेंगे ।।
सुना है जूठा पीने से प्रेम बढ़ता है ,
अब अपने प्यार को और भी गहरा करना है ।

बहुत डर चुकें इस दुनिया से अब नहीं डरना है ।।
पर तुम आओ न कहीं फिर से प्यार अधूरा न रह जाये,
नहीं सहना मुझे अब कोई दर्द बहुत मुश्किल होती है ।
तनहॉइयों में ये ऑखें भी बहुत रोती हैं ।।

तुम समझ रहे हो न तो आओ न एक बार फिर से..
अपने प्यार की शुरूआत करतें हैं ।
पर इस बार थोड़ा जल्दी आना ..
कहीं चाय हमारी ठंडी न हो जाये ।।S.S.
Sarita saini
स्वरचित
© Lafz_e_sarita