...

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उलझने है बहुत .........
उलझने है बहुत मगर
सुलझा लिया करती हूँ

कमज़र्फी को अपनी मै इस ज़माने से
कुछ छुपा लिया करती हूँ........

कोई लाख कहे नाकाम मुझको
मै खुद अपने हौसलों की पीठ थपथपा लिया करती हूँ .......

गुज़र जाता उजालों का सफर तो लेकिन
रात के अंधेरों में चार आंसू
बहा लिया करती हूँ..........

ए ज़िंदगी मै खुश हू तेरी इन मेहरबानियों पे भी
कि हर गमों में भी मुस्कुरा लिया करती हूँ......

🥀🖤 Sona - ( बदजुबान कातिब )
Sonia Thakur. ...✍️