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कविता पर कविता
आज लिखूं मैं ऐसी कविता जो
सुर का श्रृंगार बने...
उड़ते मन की आकांक्षा को
रंग-बिरंगे पंख मिले....
शब्दों का ताना-बाना लेकर
कुछ खुशियां तो कुछ गम लेकर..
तो कुछ पीड़ा और मरहम लेकर
मन के भाव तरंग भरें.....
आज लिखूं ......
शब्दों की महिमा जो गाए
पर पीड़ा को जो अपनाएं...
कुरीतियों के तोड़ के बंधन
कलम मेरी तलवार बने...
आज लिखूं मैं ऐसी कविता!!!
✍️अंजना जैन
© All Rights Reserved
सुर का श्रृंगार बने...
उड़ते मन की आकांक्षा को
रंग-बिरंगे पंख मिले....
शब्दों का ताना-बाना लेकर
कुछ खुशियां तो कुछ गम लेकर..
तो कुछ पीड़ा और मरहम लेकर
मन के भाव तरंग भरें.....
आज लिखूं ......
शब्दों की महिमा जो गाए
पर पीड़ा को जो अपनाएं...
कुरीतियों के तोड़ के बंधन
कलम मेरी तलवार बने...
आज लिखूं मैं ऐसी कविता!!!
✍️अंजना जैन
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