...

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माना की नाराज़ हैं
माना की नाराज़ हों नाराज़गी ही सही चलो हमसे
रिश्ता कुछ तो कायम हैं
निगाहें मिले या न मिले हमसे
पढ़ लेते हों कभी कभी ग़जल हमारी मालूम हैं
इसी में खुश है चलो कुछ तो गुफ्तगू तुमसे कायम हैं



© Hems