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तुझे उजाड़ दूंगी मैं!
मैंने आंधी से पूछा
किसने भेजा तुमको
वो बोली
-समय का दबाव था
मगर
तुमसे मुझे बहुत प्यार है
और
तुम्हारा बुरा भी नहीं चाहती
जब तुम उजड़ते हो
कहीं ज्यादा उजड़ जाती हूं मैं
-मैं आती रहूंगी
जब-जब दबाव होगा
तुम मजबूती से खड़े रहोगे
और बचे रहोगे
तो मैं इतराऊंगी
मैं चक्कू, गोली, साजिश, धोखा और
बुरी वक्त हूं
बचना तुम्हीं को है,
कोसने से क्या होगा,
मुसीबत मैं
बेवजह, बेवक्त हूं
तू जितना
बिखरा, टूटा , कमज़ोर होगा
तेरे नेस्तनाबूद का
मुझे उतना होड़ होगा
(विभूति )
© All Rights Reserved
किसने भेजा तुमको
वो बोली
-समय का दबाव था
मगर
तुमसे मुझे बहुत प्यार है
और
तुम्हारा बुरा भी नहीं चाहती
जब तुम उजड़ते हो
कहीं ज्यादा उजड़ जाती हूं मैं
-मैं आती रहूंगी
जब-जब दबाव होगा
तुम मजबूती से खड़े रहोगे
और बचे रहोगे
तो मैं इतराऊंगी
मैं चक्कू, गोली, साजिश, धोखा और
बुरी वक्त हूं
बचना तुम्हीं को है,
कोसने से क्या होगा,
मुसीबत मैं
बेवजह, बेवक्त हूं
तू जितना
बिखरा, टूटा , कमज़ोर होगा
तेरे नेस्तनाबूद का
मुझे उतना होड़ होगा
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