...

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भीष्म ने मृत्यु स्वीकार किया
अर्जुन के साथ देख जीवित ढाल,
मौन गया यह बृख्य बिशाल
बाणों ने शाखायें को भेद किया,
भिष्म ने अपने मृत्यु का सीक्वार किया।
गंगेय ने रथ से थान से गिरे,
स्तब्द्ध हो गया संसार सारे,
कोई कोह संभल रहा था तो कोई मौन खडाथा,
कृष्ण मन्द मन्द मुस्कुराते,
अर्जुन फूट फूट के रो रहा था।

युद्ध थम सा गया,
रथों से उत्तर आये सब,
जिसका सूरज ही दुब गया,
उसका क्या होगा अब,
सब घेर खड़े थे,
दुर्योधन तो बेहोश पड़ा था,
पांडबो को तो क्या कहना,
युधिष्ठिर तो युद्ध ना करने का सोच रहा था।
© Drath