अब के जन्म मोहे बिटिया न कीजो।।
मैं एक बेटी, बहन, मां ,सखी, पत्नी ,अर्धांगिनी,और औरत हूं, न जाने कितने रिश्ते खुद में समाईं हूं।। इन सारे रिश्तो का दर्द जब ईश्वर नहीं समझ सकें ।। तो मर्द की क्या बिसात है।। इस गुमनाम सी जिंदगी की कुछ पंक्तियां लिख रहीं हूं।।
पता नहीं कहीं खो गई हूं मैं इसीलिए खुद को खुद में ही ढूंढने लगी हूं मैं।।
बहुत दर्द मिला है इस जीवन में...
पता नहीं कहीं खो गई हूं मैं इसीलिए खुद को खुद में ही ढूंढने लगी हूं मैं।।
बहुत दर्द मिला है इस जीवन में...