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अब के जन्म मोहे बिटिया न कीजो।।
मैं एक बेटी, बहन, मां ,सखी, पत्नी ,अर्धांगिनी,और औरत हूं, न जाने कितने रिश्ते खुद में समाईं हूं।। इन सारे रिश्तो का दर्द जब ईश्वर नहीं समझ सकें ।। तो मर्द की क्या बिसात है।। इस गुमनाम सी जिंदगी की कुछ पंक्तियां लिख रहीं हूं।।
पता नहीं कहीं खो गई हूं मैं इसीलिए खुद को खुद में ही ढूंढने लगी हूं मैं।।
बहुत दर्द मिला है इस जीवन में मुझे इस जिंदगी से मुझे इसलिए अपने आप में ही खामोश रहने लगी हूं।।
बहुत चुभने लगी थी ,सबकी निगाहों में ।।
बहुत चुभने लगी थी ,मेरी बातें सब के कानों में।।
इसलिए अपने आप को ढूंढने लगी हूं मैं,
जिसके साथ सात फेरे लिए जब वो ही ना समझ सका मुझे इसीलिए अपने आप में खुद को ढूंढने लगी हूं।।
बहुत बार भरोसा टूट गया है मेरा अब जिंदगी से आखरी उम्मीद नहीं है इसीलिए खुद को अपने आप में ढूंढने लगी हूं।।
अब किसी पर विश्वास के नाम से डरती हूं मैं इसीलिए खुद में अपने आप को ही ढूंढने लगी हूं मैं।।

#आप की तनूं!!!!!

© Tamanna yadav 🙏🙏