जय पराजय ✍️✍️✍️
चलो मान लिया की मेरे लिए सारे दरवाजे बंद हो चुके है
जीवन से ख़ुशियों की उम्मीद भरे पल अब चंद हो चुके हैं
वो आश्वासन वो अपनेपन से भरे वादे अब मंद हो चुके हैं
शिद्दत से तराशे उजले रौशन झरोखे अब खंड हो चुके है
महफिले सजती थी जिनपर मिथ्या अब वो छंद हो चुके हैं
ये भी मान लिया की अब बेसबब दिल...
जीवन से ख़ुशियों की उम्मीद भरे पल अब चंद हो चुके हैं
वो आश्वासन वो अपनेपन से भरे वादे अब मंद हो चुके हैं
शिद्दत से तराशे उजले रौशन झरोखे अब खंड हो चुके है
महफिले सजती थी जिनपर मिथ्या अब वो छंद हो चुके हैं
ये भी मान लिया की अब बेसबब दिल...