bacha Nahi hai Kuch ab..
बचा नही है कुछ अब "
" बचा नही है कुछ अब " किसी व्यक्ति की उस स्थिति को बताती है ,जब उसको लगता है ,कि वह बिलकुल अकेला है। उसके पास अगर कुछ है तो वह है उसका हार ना मानने की जिद और विषम परिस्थियों में भी संघर्ष करणे का हौसला। इसी हौसले पर हैं। ये पंक्तियाँ -
" बचा नही है कुछ अब "
बस हौसला बचा है ,बचा नहीं है कुछ अब।
इस हौसले के दम पर बुझते दिए जलाऊं ,
अरमान पुरे करलूं ,नई राह मै बनाऊं ,...
" बचा नही है कुछ अब " किसी व्यक्ति की उस स्थिति को बताती है ,जब उसको लगता है ,कि वह बिलकुल अकेला है। उसके पास अगर कुछ है तो वह है उसका हार ना मानने की जिद और विषम परिस्थियों में भी संघर्ष करणे का हौसला। इसी हौसले पर हैं। ये पंक्तियाँ -
" बचा नही है कुछ अब "
बस हौसला बचा है ,बचा नहीं है कुछ अब।
इस हौसले के दम पर बुझते दिए जलाऊं ,
अरमान पुरे करलूं ,नई राह मै बनाऊं ,...