...

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bacha Nahi hai Kuch ab..
बचा नही है कुछ अब "
" बचा नही है कुछ अब " किसी व्यक्ति की उस स्थिति को बताती है ,जब उसको लगता है ,कि वह बिलकुल अकेला है। उसके पास अगर कुछ है तो वह है उसका हार ना मानने की जिद और विषम परिस्थियों में भी संघर्ष करणे का हौसला। इसी हौसले पर हैं। ये पंक्तियाँ -

" बचा नही है कुछ अब "
बस हौसला बचा है ,बचा नहीं है कुछ अब।
इस हौसले के दम पर बुझते दिए जलाऊं ,
अरमान पुरे करलूं ,नई राह मै बनाऊं ,
खुद को उठा के ऊपर ,फिर सामना करूँ मै ,
फिर वजह मै बताऊँ,इक राह मै दिखाऊं ,
तेरे मेरे दरमियाँ में ,बचा नहीं है है कुछ अब ,
बस फांसला बचा है,बस फांसला बचा है।


खाई तूने थी जो कसमे ,तूने नहीं निभाई ,
किये मैंने जो भी वादे ,मै वो निभा ना पाया ,
भरा हसरतों से था वो ,टुटा हुआ मेरा दिल ,
बस दिल ही अब बचा है ,बचा नही है कुछ अब।


दिल टूटने से पहले एक बार तू मिला था ,
इस बार तेरा लहजा बड़े रौब से भरा था ,
तेरी हसरतों की लिस्ट ,तूने मुझे सुनाई ,
तेरी बात सुनके टूटा दिल भी बिखर गया अब ,
बस हौसला बचा है ,बचा नहीं है कुछ अब।
बस हौसला बचा है ,बचा नहीं है कुछ अब।
© Navneet Kumar mishra
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