...

21 views

🌺इक ख्वाब सुनहरी हो जैसे!♥️
♥️🌺♥️🌺♥️🌺♥️

इतनी सीधी- सादी सी,
टिकी ठहरी हो कैसे,
स्वाभाविक नदिया-सी
इतनी गहरी हो कैसे,

जाड़े की ठिठुरन में,
नरम दुपहरी हो जैसे,
गुनगुगाती हो तो लगती
सुगम स्वर-लहरी हो जैसे,

रूप-लावण्य की लगती
नैसर्गिक प्रहरी हो जैसे,
पूर्णिमा की आभा से युक्त,
आहह, इक ख्वाब सुनहरी हो जैसे!
🌺♥️🌺♥️🌺♥️🌺♥️
—Vijay Kumar
© Truly Chambyal