गंगा
हे गंगे! हम तुम्हारे दोषी हैं ।
हम समक्ष तुम्हारे क्षमाप्रार्थी हैं माँ।
काश! की हम तुम्हे मातातुल्य न मानते।
काश! की तुम्हारा जल अमृत समान न होता
तो शायद तुम्हारी इतनी दुर्दशा न होती।
संभवत: तुम्हारा तल यूँ न ढँका होता
कचरे के अम्बारों से।
अगर हम तुम्हे भागीदार न बनाते
अपने पाप और पुण्य का,
और तुम माँ,पापकर्मनाशिनी न होती।
तुम्हारा ...
हम समक्ष तुम्हारे क्षमाप्रार्थी हैं माँ।
काश! की हम तुम्हे मातातुल्य न मानते।
काश! की तुम्हारा जल अमृत समान न होता
तो शायद तुम्हारी इतनी दुर्दशा न होती।
संभवत: तुम्हारा तल यूँ न ढँका होता
कचरे के अम्बारों से।
अगर हम तुम्हे भागीदार न बनाते
अपने पाप और पुण्य का,
और तुम माँ,पापकर्मनाशिनी न होती।
तुम्हारा ...