गलत है क्या?
मैं जो तेरा इंतज़ार करूँ तो गलत है क्या?
अपने दिन का हर एक लम्हा तुझ पर कुर्बान करूं तो गलत है क्या?
तुमने भी तो कई साल गुजारे हैं मेरे बिना,
मैं अपनी जिंदगी तेरी याद में बिता दूँ तो गलत है क्या?
वो जो तुम चले आते थे बेवक़्त,
सिर्फ एक झलक मुझे देखने को;
तेरी ना मोजूदगी में तेरा अक्स मैं चाँद में तराश लूँ तो, गलत...
अपने दिन का हर एक लम्हा तुझ पर कुर्बान करूं तो गलत है क्या?
तुमने भी तो कई साल गुजारे हैं मेरे बिना,
मैं अपनी जिंदगी तेरी याद में बिता दूँ तो गलत है क्या?
वो जो तुम चले आते थे बेवक़्त,
सिर्फ एक झलक मुझे देखने को;
तेरी ना मोजूदगी में तेरा अक्स मैं चाँद में तराश लूँ तो, गलत...