...

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तुम मिलो तो तुम्हें ये बतलाऊंगी!
#WritcoPoemPrompt59
तुम मिलो तो तुम्हे ये बतलाऊंगी!
आखि़र कब तक तुमसे ये छुपाऊँगी |
तुम्हारी नज़र को अपना आईना बनाऊंगी
तुमसे मिलके अपना हर दर्द तुम्हे बताउंगी|

नहीं देख सकी मै किसी और का नाम तुम्हारे साथ,
अपनी हर घुटन तुमको बताऊंगी,
आखिर किस हद तक तुमसे ये छुपाऊँगी |

जिन आग को साक्षी मान तुमने फेरे लिए,
उसकी लौ में कुछ और नहीं मै जल रही थी|
अपनी हर दाग़ से तुम्हे रुबरु कराऊंगी,
आख़िर किस हद तक तुमसे ये छुपाऊँगी |

मेरे खून से तुमने जो किसी और का मांग भरा है,
खुदा की अदालत मे उसकl इंसाफ मै कराऊंगी |
मै कयामत की रात तुमसे मिलने आऊंगी,
मेरे हर जख़्म से तुम्हारा सामना कराऊंगी |

आख़िर किस हद तक तुमसे ये छुपाउंगी,
तुम मिलो तो तुम्हेे ये बतलाऊंगी |
© Ankita siingh