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काश हर मौत से सीख लेते हम😌
कि, काश यहां हुई हर मौत से सीख लेते हम, और
जब बिल्कुल ठीक हमारी ही तरह एक थका हुआ बूढ़ा-सा शख़्स
हमारी दहलीज पर आकर हमारे दरवाज़े को ठक-ठका रहा होता ना, जो बस ऊपरवाले के कहने पर इस ख़ुशहाल जहां के
मासूमों की जान लेने का जिम्मेदार कहला-कहलाकर
अन्दर से टूट गया है,
जो अर्थियों का बोझ ढो-ढोकर कमज़ोर होकर जैसे बिखर-सा गया है
हाँ, हाँ बेशक मैं मौत की ही बात कर रहा हूं
कि काश इन नाचीज़ों की तरह ना होकर, जो
अपनी ज़िंदगी को बस ख़ुदगर्जी में ख़ाक कर देते हैं, और
यही बेचारा मौत जब चौखट पर खड़ा होता है, तो चीखते-चिल्लाते हैं
कि काश हम अपनी ख़ुदगर्जी की तरह ज़रा-सी इनायत
इस ज़िंदगी और मौत दोनों पर ही करते,
हर लम्हा जीते हम शायद किसी आसमाँ में उड़ते परिंदों की तरह
कि काश शायद हम खुशामदीद कर मौत को भी अपने घर बुलाते,
बस सुकून से एक हल्की-सी मुस्कराहट अपने इन गीले-से लबों पर लिए उसकी उँगली पकड़े उसके साथ जाने के लिए बेझिझक इक पल में तैयार हो जाते

© Kumar janmjai