...

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नजरिया बदल लेंगे
ये दुनिया बड़ी खूबसूरत हैं,
बस उसे देखने के खातिर सही नज़रिये के जरूरत है।
जरा देखो तो ये हसीन वादियाँ, ये जमी,
वो आसमाँ, ये हरे भरे वन, पक्षी
और ये दौड लगते खेलते-कूदते पशू ।
देखो ये बड़े बड़े समंदर और नदिया,
उनमे गोते लगाती ये ढेर सारी मछ‌लियाँ
ये सफेद चादर ओढे ऊँचे-ऊँचे पर्वत
कितना शांत और स्वच्छ वातावरण है यहाँ
खुशियों से भरा हुआ है ये सारा जहाँ ।
देखो तो ये बाते करते हुए ढेर सारे लोग
ये ईश्वर की अनमोल रचना,
ये ढेर सोर रंग-बिरंगे वस्त्र
और सैकड़ों स्वादिष्ट पकवान
ये सब कितना मनमोहक है।|

हाँ तुमने सही कहा, ये दुनिया बड़ी खूबसूरत है
बस हमें अपना नज़रिया बदलने की जरूरत है।
जब भी दिखेगी हमें अत्याचारों से काँपती हुई धरती,
प्रदूशण से फटता हुआ आसमान,
हम अपना नजरिया बदल लेंगे |
जब भी दिखे तहस-नहस होते वन
हम अपना नजरिया बदल लेंगे |

वैसे कहने को तो इस दुनिया में बेशुमार लोग हैं
फिर भी यहाँ तनहाइयों का शिकार लोग हैं ,
यहाँ अत्याचार करने वाले भी लोग हैं,
और अत्याचार सहने वाले भी लोग हैं,
यहाँ इंसाफ की गुहार लगाने वाले भी लोग हैं,
और कानून का गला घोटने वाले भी लोग हैं
पर हमें उससे क्या,
जब भी दिखेगी हमें चीखती हुई अबला,
दर्द से तड़पता मानुष
हम अपना नजरिया बदल लेगे ।

आज पशुओं की हो रही तस्करी
पक्षियों से करते मस्करी,
आज नदियों और झीलो में
मछलियों की जगह कचरा गोते लगाता है ,
और दूषित पानी पी-पीकर
पूरा-क-पूरा गांव जानलेवा बीमारियों से पीठित हो जाता है। पर उससे हमे क्या,
जब भी दिखेगा हमें नदियों में काला पानी
"भागपद" जैसे गाँवों की कहानी,
हम अपना नजरिया बदल लेंगें ॥

कल तक जो नदी, तालाब और सरोवर
छोटी जाति के लोगों के छूने मात्र से
दूषित हो जाया करते थे,
आज वो सच में प्रदूषित हो गए ।
लेकिन अपसोस ,
जो भीड़ छोटे लोगो को सजा देने दौड़ी चली आती थी,
आज वो इस जल को स्वच्छ करने के खातिर,
लोगों को कचरा फेंकने से रोकते के खातिर नहीं आती |
कल तक हम हिमालय की पहाडियों की ऊँचाई नापते थे,
आज कचरे की पहाडियों की ऊँचाई माप रहे।
वृक्षों के कटने की आवाज़ सुनकर,
पशु-पक्षी भी थर-थर काँप रहे।

पर जब भी दिखेंगे हमें प्रकृती को नुक्सान पहुंचाते लोग, सड़क के किनारे रोटी और कपड़ों को तरसते हुए लोग,
हम अपना नारिया बदल लेंगें ।
© VSAK47

##Sirf nazariya badal lene se ya samasyaon ko andekha kr dene se uska hal nhi nikalta. Balki hume samasya ko samajhkr uska karan khojkr uska khud hi hal banna hoga.

Ye duniya ye prakriti hmari h ise humne hi nuksaan pahuchaya h to ise hume hi vapas shi bhi krna hoga.

Aur ye kaam sirf chand logo ka nhi balki hum subka h or hum sbhi ek dusre ka sahyog krke hi ise poora kr skte h....##