...

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ईश्वर का सृजन...!
आदमी को अच्छा लगा
उसे रचना...

जो स्वयं उसका
रचयिता है...!

अतएव....
उसने उस अनंत को...

बेल के पत्ते ... पीपल... तुलसी...बड़
फ़ूल पत्थरों...

पर्वतों.... नदियों... मीनारों में ...
चाँद.. सूरज... सितारों में !!

उसे हर सम्भव जगह
हर सम्भव वस्तु में रच डाला...

जहाँ भी ईश्वर के
अस्तित्व को गढ़ना...

उसके लिए...
संभव हो सका !!!