...

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ये तेरा कर्ज था
कर्ज था तेरा शायद
इसलिए तूने रुलाया

मोहब्बत की राह में
गफलत होती है, ये देर
से ही सही तूने जताया।।

हमने कई बार नज्मे जो
लिखी तेरे लिए, टुकड़ो में
ही सही उसे आशिया में पाया।।

बेवफा वक़्त थी या तुम
ये सवाल आज भी है
वो बात और है कि
हमने उसे अश्को में और
तेरे चर्चों में ही पाया।।