मिलन
यह प्रेम की कविता बहुत ज्यादा ही जीवन और प्रेम रस से परिपूर्ण है क्योंकि यह कविता प्रेम भाव से उत्पन्न हुई और यह केवल मेरे गुरुदेव के कारण है । मैं अपने कल्पना में अपनी प्रियतम से मिला था और जो मेरे भाव निकले वह कविता के प्रवाह में बह गए हैं ।आशा है , आप पाठकों को पसंद आए-
तुम इस तरह सामने श्रीहरि,
मैं बस तुम्हें निहार रही।
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तुम इस तरह सामने श्रीहरि,
मैं बस तुम्हें निहार रही।
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