...

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'बस तुम ही हो मेरे'
गहरी नींद से जागा तो,
सपनों में तू ही नजर आया।
जब देखा खुद को तो,
खुद में तुझको ही पाया ।

दिल की वादी में गीत गूँजे,
आओ मिलकर एक दूजे को प्यार करे,
हाँ तुम ही हो मित मेरे, बस तुम ही मेरे ।

अंधेरा था घिरा तन्हा तड़पता था रातों को,
तुमसे ही रौशनी पायी मैंने, तुम ही हो चाँद मेरे ।
हाँ तुम ही हो चैन मेरे, बस तुम ही मेरे ।

कैसे बताऊं उन एहसासों को,
पहली दफा जिया जिन सांसों को
इस जहां ने क्या दिया हमको,
सिवाय जख्मों के दिलोजान पर मेरे ।

आँख बन्द हो या खुले,
नजर आते हैं सिर्फ चेहरे तुम्हारे
वीरान राहों में तुम मिले,
खबर नहीं हूँ कहाँ पर अब तुम्हीं ही मंजिल मेरे ।

जान हाजिर है तुम्हारे लिये,
तेरे लिए ही मांगू खुदा से अब दुआ सारे ।
आ जाओ बाहों में और बसा लूँ तुम्हें,
अपनी निगाहों में सदा के लिए ।

बनाया तुम्हें है हमसफर अपना,
माना है तुम ही अब खुदा मेरे ।
तुम ही हो खुदा मेरे,
बस तुम ही तो मेरे ।

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter