हमे इल्म नही था ।
हमे इल्म नही था,
हमे इल्म नही था।
हवाओं ने खुद को कब मोड़ा,
तूफानों ने कश्ती को कब मरोड़ा ।
नाव के खिबैये हम नौसिखिये थे,
अभी जिन्दगी के और तजुर्बे बाकी थे ।
जब तक कस्ती उतरी ना...
हमे इल्म नही था।
हवाओं ने खुद को कब मोड़ा,
तूफानों ने कश्ती को कब मरोड़ा ।
नाव के खिबैये हम नौसिखिये थे,
अभी जिन्दगी के और तजुर्बे बाकी थे ।
जब तक कस्ती उतरी ना...