हमे इल्म नही था ।
हमे इल्म नही था,
हमे इल्म नही था।
हवाओं ने खुद को कब मोड़ा,
तूफानों ने कश्ती को कब मरोड़ा ।
नाव के खिबैये हम नौसिखिये थे,
अभी जिन्दगी के और तजुर्बे बाकी थे ।
जब तक कस्ती उतरी ना पानी में,
यही दुनिया खुबसूरत हैं जवानी में ।
बीच डगर में नाव फसी पार लगानी हैं ,
दुनियादारी के और तजुर्बे आने बाकी हैं ।
इल्म हुआ अब दुनियादारी का,
इसके प्रति अपनी बफादारी का।
इल्म हुआ अब अपनी जिम्मेदारी का,
मंजिल पर पहुचने की मेहनतकारी का।
priyanka dwivedi..
© All Rights Reserved
हमे इल्म नही था।
हवाओं ने खुद को कब मोड़ा,
तूफानों ने कश्ती को कब मरोड़ा ।
नाव के खिबैये हम नौसिखिये थे,
अभी जिन्दगी के और तजुर्बे बाकी थे ।
जब तक कस्ती उतरी ना पानी में,
यही दुनिया खुबसूरत हैं जवानी में ।
बीच डगर में नाव फसी पार लगानी हैं ,
दुनियादारी के और तजुर्बे आने बाकी हैं ।
इल्म हुआ अब दुनियादारी का,
इसके प्रति अपनी बफादारी का।
इल्म हुआ अब अपनी जिम्मेदारी का,
मंजिल पर पहुचने की मेहनतकारी का।
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