...

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हमे इल्म नही था ।
हमे इल्म नही था,
हमे इल्म नही था।

हवाओं ने खुद को कब मोड़ा,
तूफानों ने कश्ती को कब मरोड़ा ।

नाव के खिबैये हम नौसिखिये थे,
अभी जिन्दगी के और तजुर्बे बाकी थे ।

जब तक कस्ती उतरी ना पानी में,
यही दुनिया खुबसूरत हैं जवानी में ।

बीच डगर में नाव फसी पार लगानी हैं ,
दुनियादारी के और तजुर्बे आने बाकी हैं ।

इल्म हुआ अब दुनियादारी का,
इसके प्रति अपनी बफादारी का।

इल्म हुआ अब अपनी जिम्मेदारी का,
मंजिल पर पहुचने की मेहनतकारी का।
priyanka dwivedi..
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