...

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माँ
मैंने सबको तो नहीं लेकिन माँ को देखा है
हर काम में उलझी एक औरत को देखा है
हर पल मुस्कुराती एक औरत को देखा है
मैंने सबको तो नहीं लेकिन माँ को देखा है

घर का सारा सुकून मैंने माँ में देखा है
हर परेशानी का हल मैंने माँ में देखा है
लोग क्या है और कैसे होते है मुझें नहीं पता
मेरी माँ में मैंने दुनियाँ जहान को देखा है

लोगो से ज़्यादा मैंने माँ में प्यार देखा है
भगवान से ज़्यादा मैंने माँ को खूबसूरत देखा है
दुनियाँ भले कल कहीं और पहुँच जाये
ज़िन्दगी में मैंने माँ के जैसा दूसरा कोई और नहीं देखा है

मैंने सबको तो नहीं लेकिन माँ को देखा है
इंसान के रूप में ईश्वर को ईश्वर से बढ़कर देखा है
हो लाख मुसीबते उस एक मासूम के दिल में
मैंने हर जंग को शौंख से लड़ती मेरी माँ को देखा है
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