...

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मै ही मे के सिवा ।
हल्के से किसने कहाँ ये तुम्हारा नसीब है ।
आस पास ना था कोई, धड़कनो के सिवा ।

हमने तो सोचा भी ना था उसे और वो सपनो मे आ गया ।
जानता था हमे इंतेजार है या था बैचन ..

कि खंमखाँ ही आ गया, इजाजत से पहले ।
ना तलब, ना सब्र, ना अब तक था अजीज ।

चंद मुलाकातो मे क्या हुये करीब ..
खैरियत के तलबगार क्यो अब ..
शुकरानो दुआ मे ना था कोई पहले ,
मै ही मे के सिवा ।

हल्के से किसने कहाँ ये तुम्हारा नसीब है ।
आस पास ना था कोई, धड़कनो के सिवा ।

© pratima das