...

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जमे हुए ख़त
आज काफी वक़्त के बाद मैंने
कमरा साफ किया
तो कुछ मिला मुझे
थी एक कागजों की गड्डी
हालत थी जैसे बिल्कुल ही रद्दी
हल्का सा पीलेपन को साथ लिए हुए
वो कागज़, एक दूसरे में चिपके हुए थे
जैसे ,किसी ने उनको एक दूसरे के ऊपर रखकर
पानी डाला हो
और एक लंबे अरसे के बाद उसको निकाला हो
उन कागजों पर बहुत कुछ लिखा हुआ था
मोहब्बत ,उल्फत , वफा, कसम,
कुछ इस तरह के अल्फ़ाज़ ज़्यादा दिख रहे थे
और वो कागज़ एक दूसरे से चिपके हुए थे
बातों में जैसे वो लिपटे हुए थे
यहां तक कि ,
एक कागज़ की सियाही दूसरे कागज़ पर आ गई
लिखावट में जैसे तब्दीली सी आ गई
वफा, बेवफा हो गया,
मोहब्बत, नफरत के पास आ गई
यकीन, धोखा हो गया ,
यक्सियत, मुनाफ़िकत के पास आ गई
जोड़ जहां लिखा था, वहां तोड़ सा हो गया ...