...

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वो जान बनके
वो जान बनके मेरी मुझसे ही लड़ती हैं,

रूठने पे चेहरा छिपाए पर प्यार से बाहों
में जकड़ती हैं,

कभी बेपरवाह हो जाए,कभी मुझे खोने
से डरती हैं,

जब दूर चला जाऊं तो अकेले में रो-रो
मरती हैं,

औरों के लिए नादान,पर मेरी बात बिना
कहे समझती हैं,

हो जाऊं कभी निराश तो मुझ में खूब हिम्मत
भी भरती हैं,

दिल चीर के दिखा नहीं सकता 'ताज' पर हर
धड़कन में वो ही बसती हैं।
© taj