जो मिले चांद और शुक्र
जो मिले चांद और शुक्र कल रमजान की रात को
जो महकाया आसमां को अपनी खुशबू से कल की रात को
खूबसूरती बढी आसमां की जमीं की खुशहालि का ठिगाना न रहा
काश हमारा भी मिलन होता जैसे मिले चांद और शुक्र रमजान की रात को।
जो कल चांद और शुक्र का मिलन यादगार बना
काश हमारा मिलन भी यादगार बनता
काश हमारे मिलन को...
जो महकाया आसमां को अपनी खुशबू से कल की रात को
खूबसूरती बढी आसमां की जमीं की खुशहालि का ठिगाना न रहा
काश हमारा भी मिलन होता जैसे मिले चांद और शुक्र रमजान की रात को।
जो कल चांद और शुक्र का मिलन यादगार बना
काश हमारा मिलन भी यादगार बनता
काश हमारे मिलन को...