...

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tera sath.
जो ध्यान में अपने मगन रवै
म्हारे हर दुख सुख में जो साथ रवै
कष्ट को हरता और ज्ञान का धरता जिसको नाथो का भी नाथ कवै
हाथ त्रिशूल और जटा में गंगा
भक्तों का बस करता चंगा
शीतलता का स्वामी है पर
त्रिनेत्र खोल दे जब हो जा पंगा
चमक-दमक से दूर रहनीया
जीवन की पहचान देवै
कण कण में है जो बसा हुआ
उसको सबका भोलेनाथ कवै
आया है दिन इसका आज फिर
चलो मिलकर इसका ध्यान देवें
जिसने मिल जा सिर पर हाथ तेरा
ना कोई फिर परवाह रवै
मेरे हर काम में तू,हर नाम में तू
बस भोला मेरी पहचान रवै।।
© RAHUL PANGHAL