...

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मेरी इक ख़्वाब तुम
मेरी इक ख़्वाब तुम
जिसे हर रोज सजाता हू
एक लम्हा प्यार का
हर रोज़ बताता हूं
थे कुछ गीत और
कुछ गजल के धुन थे
कुछ अफ़साने थे प्यार के
हर रोज गुनगुनाता हू
मेरी इक ख़्वाब तुम
जिसे हर रोज सजाता हू
© aryathepoet