...

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चलते जाना
निष्फल होकर मत घबराना
जगह एक है राह हज़ारों
चलते जाना चलते जाना

चाहे अम्बर ये मुठ्ठी में हो
या दुनिया भर से चोट मिले
या दुनिया ये मुठ्ठी में हो
चाहे बस धरती का ओट मिले

चाहे अब जो भी पड़ाव हो
बस आगे ही कदम बढ़ाना
जगह एक है राह हजारों
चलते जाना चलते जाना

अपने सब्र का रेखा बांध कर
खुद से ज्यादा खुद को आंक कर
बंधु गलती मत दुहराना
साहस भर ही बोझ उठाना

जो गया टूट तो टूटने दो
अब अंतर्मन में लक्ष्य सजाना
जगह एक है राह हज़ारों
चलते जाना चलते जाना

क्या हुआ गर थके पैर तो
कल को भी चलना बाकी है
जो कल भी ये उठे नही तो
बंधु तुम साकी बन जाना

फूल नही काँटों को ओढ़ कर
जहाँ रुको तुम रात बिताना
जगह एक है राह हज़ारों
चलते जाना चलते जाना...

© आदर्श चौबे