एक मासूम
एक मासूम फिर फस गया
जालसाजों के घेरे में
ना जाने उसने क्या देखा
उस जिस्म के लुटेरे में
सादगी हया भी तो
दिखती नही उस चहरे में
फिर कैसे जा गिरा वो
दलदल इस गहरे में
क्या सोचकर पत्थर...
जालसाजों के घेरे में
ना जाने उसने क्या देखा
उस जिस्म के लुटेरे में
सादगी हया भी तो
दिखती नही उस चहरे में
फिर कैसे जा गिरा वो
दलदल इस गहरे में
क्या सोचकर पत्थर...