...

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किसे पता था।।
जिंदगी का खेल बड़ा अनोखा,
आए दिन दिखाएं तमाशे अनेख।।
किस पल किसका अकरी पल हो
जान ना पाया कोई ,ना कोई।।

कोई इस विधि का खेल को
समझ ना पाया,ना डल पाया।।
जिंदगी का समुन्दर कब बूंद मै बदला
कोई अंदाज़ा लगा ना पाया।।

पल में हर पल सिमट गया,
देखते देखते वो अकरी पल आगया।।
कहने अलविदा दुःख बरी इस जिंदगी को
उन बुलंद ऊंचाइयों को गले लगाते चल पड़े।

उस अंजान राह पर ,जहा ना कोई अपना है
ना कोई पराय है, अपनोसे दूर
गैरों के करीब ,उस राह पर चल पड़े,
शायद आब कहीं तो सुकून मिले।।

© saధना🖌️।