आहट....
आहटों को अनिवार्य कर देना चाहिए
जैसे आता है कोई अनजाना चुपचाप
ह्दय के द्वार पर बिन दस्तक
जैसे बेल हो अपराजिता की
शांत निर्झर निरंकुश
पाश मे बांध लेती बिन जाने बिन पूछे
एहसास जिस पल हुआ ह्दय था लिपटा...
जैसे आता है कोई अनजाना चुपचाप
ह्दय के द्वार पर बिन दस्तक
जैसे बेल हो अपराजिता की
शांत निर्झर निरंकुश
पाश मे बांध लेती बिन जाने बिन पूछे
एहसास जिस पल हुआ ह्दय था लिपटा...