•हम भुल जायेंगे•
हवाओं की गुनगुनाहट कानों को छूतीं गुजर जा रही है
दुनिया को देखने की फुरसत क्षितिज तक जा कर ठहर जा रही है
हर मौसम हर मंज़र को समेटने में ये ज़िन्दगी बिखर जा रही है
न खोया कुछ कल था, न टूटा कुछ आज है
बस कोने में दिल के एक खनखनाती आवाज़ है
क्या खोया क्या पाया जिंदगी हिसाब माँग रही है
मुझसे लड़ने के बाद ये दुनिया सफ़ेद लिबाज़ माँग रही है…
...
दुनिया को देखने की फुरसत क्षितिज तक जा कर ठहर जा रही है
हर मौसम हर मंज़र को समेटने में ये ज़िन्दगी बिखर जा रही है
न खोया कुछ कल था, न टूटा कुछ आज है
बस कोने में दिल के एक खनखनाती आवाज़ है
क्या खोया क्या पाया जिंदगी हिसाब माँग रही है
मुझसे लड़ने के बाद ये दुनिया सफ़ेद लिबाज़ माँग रही है…
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