APRADH/CRIME
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है,
दुश्मनों से मिलकर दोस्तों पर प्रहार करने का षड्यंत्र रचता है एक ऐसा खेल खेलता है
अपने आप में एक स्वांग सा रचता है ,
यह दूसरों के दर्द को क्या समझेगा जो स्वयं के ही परिवार को चोट पहुंचाता है,
कागज के पन्नों के नीचे अपनी...
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है,
दुश्मनों से मिलकर दोस्तों पर प्रहार करने का षड्यंत्र रचता है एक ऐसा खेल खेलता है
अपने आप में एक स्वांग सा रचता है ,
यह दूसरों के दर्द को क्या समझेगा जो स्वयं के ही परिवार को चोट पहुंचाता है,
कागज के पन्नों के नीचे अपनी...